सुरक्षित प्रसव इकॉनमी के लिए भी है फायदेमंद

बिबेक देबरॉय, ब्योर्न लोमबोर्ग, आदित्य सिन्हा
दुनिया भर में हर दूसरे मिनट एक महिला की गर्भ और प्रसूति संबंधी समस्याओं के चलते मौत हो जाती है और उन्हीं दो मिनटों में नौ नवजात शिशु भी मर जाते हैं। दुखद सत्य है कि इस साल भी 2,95,000 महिलाएं प्रेग्नेंसी संबंधी समस्याओं के चलते मौत के मुंह में समा जाएंगी और करीब 24 लाख नवजात शिशु पांच महीने भी नहीं जी पाएंगे। इन करीब 27 लाख सालाना मौतों में से हर एक मौत वैयक्तिक, पारिवारिक और सामुदायिक स्तर पर बेहिसाब तकलीफ लाती है। इसके साथ ही ये मौतें समाज के लिए वित्तीय तौर पर भी नुकसानदेह साबित होती हैं। कम और मध्यम आय वाले देशों में ये मौतें करीब आधा ट्रिलियन यानी 50,000 करोड़ डॉलर नुकसान का कारण बनती हैं, जो इन देशों के सालाना जीडीपी का 6 फीसदी बैठता है।

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